Sunday 7 August 2016

: : : : : : : : : : : : : Reply to a letter on Climate Change : : : : : : : : : : : : : :

I daily visit fb pages for multiple of times in my leisure hours . None , except one , I find so deeply concerned with the catastrophic fall - out of " Climate Changes " . Yesterday ( 05 - 08 2016 ) I saw on all T V channels the news of devastating floods in India , China , Psunami in America etc . The fury o Nature is easily seen on the screen . But it makes no difference in the their thinking or the functional factors . So far as the top leaders of each country of the world are concerned , they never utter a word against " Climate Change " . Mrs Hillary and Donald Trump are two contesting candidates of America' s top post but how they deliver speeches , what they talk about , are very confined , protracted and that is known to all .
We need mass - awareness . We need to drive the matters home in each human brain the imminent dangers that " Climate Change " is posing on us , what a rash catastrophe it is soon going to unleash . Individual action is a cry in wilderness . In this campaign the wise scientists of the world can help us because they have the knowledge of the devastational affect of abnormal rise in terrestrial temperature and its aftermath results of massive drowning ( submersion) of coastal towns and cities .
Our conventional fossil - fuels are fast depleting on one hand and damaged severely the eco - systems on the other hand . The alternative source of energy must be harnessed to replace fossil fuels . Stop digging the earth - surfaces forthwith . The problems of population - explosion is not the least either . This gives rise to acceleration to the speed of extraction and consumption of fossil - fuels .

posted from Bloggeroid

Thursday 14 July 2016

: : : : : : : : : : : प्रार्थना ( शीर्षक ) : ; : : : : : : : :

मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ , मैं भगवान की स्तुति करता हूँ !
जब मैं पृथ्वी, सूर्य , सितारों और चंद्रमा को देखता हूँ ,
चाहें वे पास हों या वे दूर हों ,
जब मैं धूमकेतु, उल्का, क्वार्क ,
मिल्की - वे , सुपरनोवा , ब्लैक होल ,
और उज्ज्वल ब्रह्मांडीय - किरणों को देखता हूँ !

मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं , मैं भगवान की स्तुति करता हूँ -
जब मैं क्षिति, जल, पावक , गगन और समीर को देखता हूँ ,
घाटियों, पहाड़ों, मैदानों और नदियों,
महासागरों, समुद्र, रेगिस्तान और टिब्बा,
बर्फ - ढकी चोटियों और विशाल पिघलते ग्लेशियरों,
वनस्पति और - दुनियावी जीव - जंतुओं को देखता हूँ !

मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ , मैं भगवान की स्तुति करता हूँ ,
जब मैं देखता हूँ और आश्चर्य चकित हो कर अनुभव करता हूँ
मानव - जुनून और उसके भीतरी बुनियादी लक्षण को ,
" लव " " एन्गर " और " फियर " के मौलिक इन्सटीक्ट को ,
जो सभी मनुष्यों में और कुछ हद तक जानवर में भी व्याप्त है ,
और आत्मा को जो अनादि ब्रह्म का मार्ग प्रशस्त करता है !

मैं सर्वशक्तिमान के चरणों में अपना सिर झुकाता हूँ ,
वह विराट " सर्वज्ञ , सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी " स्वरूप हैं ,
उनके शानदार चेहरा देखने के लिए मुझमें कोई शक्ति नहीं है ,
न ही मैं अनुमान लगा सकता हूँ , प्रभू के आयामरहित आकार का ,
न ही मैं रहस्योद्घाटन करने की क्षमता पाने की इच्छा कर सकता हूँ ,
न ही उनके ब्रह्मांडींय - अस्तित्व के सत्य' जानने की लालच रखता हूँ ,

मैं केवल चाहता हूँ , हे सर्वशक्तिमान प्रभो ! आपके उदार स्वरूप से,
केवल प्रार्थना करने और आपका जय गान करने की शक्ति मिलें ,
और मीरा , चैतन्य , की तरह नृत्य के साथ, तेरे पवित्र नाम का जाप करूँ
यह मेरे दुख या मेरी खुशी में या मेरी सफलता या हार में होता रहें ,
यह मेरे प्रतिकूल समय , या अनुकूल और पवित्र समय में भी होता रहे ,
कुछ भी कभी खत्म होता हो , लेकिन मेरा पवित्र भक्ति कभी कम न हो !

हे भगवान ! मुझे आशीर्वाद दें , मुझे केवल उतनी ही शक्ति प्रदान करे कि
आपके द्वारा बनाई गई सभी बातों में , सभी चीज़ों मे सौंदर्य देख पाऊँ !
दु: ख और दुर्भाग्य में भी आप के विराट स्वरूप का गीत गाता रहूँ ,
मुझे संकट में भी आसानी से दूसरों की मदद करने की क्षमता हो ,
और लिखने और स्तुति गाने के लिए मेरी दृष्टि और मेरा दिल सक्षम हो ,
और हम हमेशा आप की अनन्त महिमा के गीत गाते रहें ! ! !

posted from Bloggeroid

Monday 11 April 2016

: : : : : गुजरा जमाना : : : : : : : : :

वो कागज की कश्ती , वो बारिश का पानी
वो छोटी नदी की उफनती जवानी
टील्हों से कूद कर छपाके लगाना
मित्रों के संग उसमें कूदके नहाना

कभी मछली पकड़ना या साँपों से भीड़ना
नदी - धार के साथ दूर दूर तक चलना
हो कीचड़ में लथ - पथ , डरना - डराना
फिर मस्ती में झूम कर , हँसना - हँसाना

पेड़ों पर चढ़ कर डाल - डाल फुदकना
डोल - पता के खेल में धरती पे कूदना
अमरूद की डाली से फल खाना - खिलाना
अंकल को देख कर , " बाप रे " चिल्लाना

माँ की गोद आ दुबक , चेहरा छिपाना
और बला के टल जाते ही , किस्सा दुहराना
होम वर्क निपटा कर , नदी भाग जाना
फिर मित्रों के संग उसमें घंटों नहाना

शरारती छोरो में औव्वल गिनवाना
पर माँ की नजरों में सुशील बन के रहना
बाहर में खेला और तमाशा था करना
घर में शांत , मौनी बाबा बन के रहना

कितना था सुन्दर , कितना सुहाना
दिन - रात माँ के ही हाँथों से खाना
था देवी का रुप माँ में जाना - पहचांना
भगवन ! लौटा दे वो मेरा गुज़रा जमाना

भगवन लौटा दे - - - - - - - - - - -- - - - -
G N Pd - - 12 - 4 - 2016

posted from Bloggeroid


posted from Bloggeroid

Tuesday 5 January 2016

Hey,

I just downloaded WhatsApp Messenger on my Android.

It is a smartphone messenger which replaces SMS. This app even lets me send pictures, video and other multimedia!

WhatsApp Messenger is available for Android, iPhone, Nokia, Windows Phone and BlackBerry and there is no PIN or username to remember - it works just like SMS and uses your internet data plan.

Get it now from https://www.whatsapp.com/download/ and say good-bye to SMS!

posted from Bloggeroid



posted from Bloggeroid

Wednesday 9 September 2015

- - - - - जनसंख्या बिस्फोट से बौखलाहट - - - - - -
छत्तीसगढ़ - -हाल ही में 30 पिउनो की रिक्ति भरने हेतु 75000 आवेदन आये । नियोजक की तैयारी अपर्याप्त रहने के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी । इसमें इन्जीनियर , एमए , एमएएससी भी आवेदन दिये थे ।
यू एन ओ के जनसंख्या विभाग के आनुसार भारत की आबादी 2015 में 131 करोड़ है और चीन की 137 करोड़ है जिसमें अनुमान है 2025 तक भारत चीन से आगे हो -जायेगा । 15 वर्ष से 59 वर्ष की आयु सीमा के अंदर भारत की आबादी अभी 81.7 करोड़ है जो अगले दस वर्षों में 92.2 करोड़ हों जायेगी । ग्रीन - हाउस - प्रभाव वाली गैसो के कारण पृथ्वी तबाह हो जायेगी । बौखलाहट तो होगा ही । अतः अभी भी सचेत होना जरूरी है ।

posted from Bloggeroid